होगा मेरा देश एक दिन ऐसा भी।
जहाँ अपनेपन का होगा पहरा।
हर रिश्ता जिसमें होगा गहरा।
जहाँ मेहनत होगी देश के लिए।
रोटी-कपड़ा-मकान
जिसके लिए रोता ना होगा इसान।
जहाँ खत्म करेगी-गरीबी सरकार।
वहाँ हम करेगें- मेहनत से कारोबार।
हम लाएंगे ऐसा देश एक दिन।
जो अमीर का ना होगा पहरा।
किसी गरीब का ना दुख होगा गहरा।
पीछे है देश पर सब दौड़ रहे हैं।
जरूरतो के पीछे तरक्कीया छोङ रहे है।
कह रही सरकार-हो जाएगी तरक्की
भूल बैठी । इतने लोगों की सोच रोटी कमाने में अटकी
कैसे सोच ली- महंगाई बढाने से हो जाएगी तरक्की।
इतनी अबादी से तरक्की करवाना।
सोचों तो- एक बार आसान है।
पर ऐसे पेट भरने तक ही सोच रही तो।
एक ना एक दिन होना इस देश का नुकसान है।
इस सोच को बदलने में सरकार को रोटी कपड़ा मकान
हर इंसान को दिलाना होगा।
फिर हर इसान का मकसद नाम कमाना होगा।
ये सोच लानी हर दिल में होगी।
तभी तरक्की हमारे देश की होगी।
तभी तरक्की हमारे देश की होगी।
सोच बदलो देश जरूर बदलेगा
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